चन्द्रयान-3: भारत के महत्त्वकांक्षी मिशन चन्द्रयान-3 को मंजिल तक पहुंचाने मे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी पीछे नही। खुशबू मिर्जा, प्रियांशु, एख्तेदार अब्बास व इशरत जमाल ने मिशन को पहुंचाया अपनी मंजिल तक।

 चन्द्रयान-3: भारत के महत्त्वकांक्षी मिशन चन्द्रयान-3 को मंजिल तक पहुंचाने मे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी भी पीछे नही।

 खुशबू मिर्जा, प्रियांशु, एख्तेदार अब्बास व इशरत जमाल ने मिशन को पहुंचाया अपनी मंजिल तक।


Hussaini72News/अंतरिक्ष/भारत/चन्द्रयान-3

अगस्त 25, 2023 ,  शुक्रवार

अलीगढ़: भारत  के महत्त्वपूर्ण मिशन चन्द्रयान-3  को मंजिल तक पहुंचाने मे अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) भी पीछे नही रही है। AMU  से निकली प्रतिभाओं ने चन्द्रयान-3 मिशन को अपनी बुलंदी तक पहुंचाया है।  

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्र प्रियांशु ने अटूट दृढ़ संकल्प के साथ इलेक्ट्रॉनिक्स में B.Tech और M.Tech की पढ़ाई की थी।  वह खुद से भी बड़ी किसी चीज़ में योगदान देने के लिए दृढ़ थे और वह अवसर तब आया जब वह प्रतिष्ठित भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में शामिल हो गए।

प्रियांशु ISRO के  चंद्रयान -3 मिशन मे लैंडर और रोवर घटकों पर ध्यान केंद्रित करने वाली टीम में शामिल थे। मिशन का एक मुख्य लक्ष्य  चंद्रयान की चन्द्रमा पर सुरक्षित लैंडिंग था।  यह एक ऐसा कार्य था जिसके लिए न केवल तकनीकी कौशल की आवश्यकता थी बल्कि असीमित प्रतिबद्धता की भी आवश्यकता थी। इस कार्य को बखूबी प्रियांशु ने निभाया।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली बेटियों ने अपनी शिक्षा के दम पर चंद्रमा तक अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं।AMU की पूर्व छात्रा व वैज्ञानिक खुशबू मिर्जा ने 2006 में एएमयू से इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग में B.Tech की उपाधि प्राप्त की थी। उन्होंने चन्द्रयान मिशन-1 एवं चन्द्रयान मिशन-2 मे विशेष योगदान दिया था। उनके पहले के मिशनों मे योगदान ने सफलताओं का मार्ग प्रशस्त किया था जिसके कारण चंद्रयान -3 की चंद्रमा पर विजयी लैंडिंग हुई थी। ISRO में ही खुशबू को प्रोन्नति हासिल हुई है और अब वह डायरेक्टर रैंक हासिल कर चुकी हैं। ऐसा करने वाली वह दूसरी मुस्लिम व्यक्ति हैं। इससे पहले देश के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम इस पद पर इकलौते मुस्लिम व्यक्ति थे।

AMU के एक अन्य पूर्व छात्र इशरत जमाल ने भी इस मिशन में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने 2013 में AMU से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में B.Tech की डिग्री प्राप्त की। ISRO में उनकी प्रयोगशाला इलेक्ट्रॉनिक पावर कंडीशनर (EPC) को डिजाइन और विकसित करने के लिए जिम्मेदार थी जो महत्वपूर्ण आरएफ और डिजिटल सबसिस्टम को संचालित करता था। यह मिशन की सफलता का एक महत्वपूर्ण घटक था।

AMU के ही पूर्व छात्र एख्तेदार अब्बास का भी ISRO के इस महत्त्वकांक्षी मिशन मे विशेष योगदान रहा है। अब्बास ने AMU से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में B.Tech की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने एनआईटी (NIT) इलाहाबाद से M.Tech की डिग्री भी प्राप्त की। 2015 से वह ISRO की मातृ संस्था विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) में वैज्ञानिक (SE) के पद पर कार्यरत है। वह चंद्रयान-3 के लांचर SLV-3 मेकेनिकल हार्डवेयर बनाने वाली टीम में शामिल थे।

जैसे ही इस ऐतिहासिक उपलब्धि की खबर फैली, एएमयू बिरादरी गर्व से झूम उठी।  उनके साथी पूर्व छात्रों ने इस और पहले के मिशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी जो इस महान उपलब्धि में परिणत हुई।  यह एएमयू में स्थापित शिक्षा की गुणवत्ता और उत्कृष्टता की भावना का प्रमाण था।

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